एक महात्मा थे। अपने कमरे से नहाने जाते नदी किनारे तो रास्ता इतना ही था कि आने जाने में और नहाने में कुल मिला के आधा घंटा लगता। पर उनको तीन घंटे लग जाते... क्यो? क्यो की ये महात्मा निकल ते ना तब बच्चे जान बूझ कर उनको चिड़ाते राधे श्याम...राधे श्याम... राधे श्याम... तो ये महात्मा राधे श्याम बोलते ही चिड़ते थे। और पत्थर उठाकर बच्चो के पीछे दौड़ते थे डराते थे लेकिन मारते नहीं थे। और बच्चो को ऐसा था कि ये महात्मा राधे श्याम से चिड़ते है। तो बच्चे तो बच्चे होते है। आपको पता है कि फिर वो बच्चे ज्यादा करते है। तो ये करने में महात्मा को ज्यादा देर लग जाती थी। बच्चे चिल्लाते रहते थे राधे श्याम... राधे श्याम...
तो एक आदमी को हुवा राधे श्याम बोलने से महात्मा पत्थर उठाते है लेकिन किसी को मारते नहीं है? नहीं मरना है तो उठाते क्यो है? और महात्मा के चहरे पे रौनक कुछ अलग है। मामला क्या है कुछ देखा जाय। तो एक दिन महात्मा नहाने गए और बच्चे चिल्लाए राधे श्याम... राधे श्याम... वो आदमी चुप के से दीवाल कूद के महात्मा की रूम में चला गया। और अंदर रूम में देखा राधा और श्याम की मूर्ति थी। अखण्ड ज्योति जल रही थी और महात्मा हरोज पूजा करते थे। और वो आदमी समझ गया की महात्मा जान बूझ कर चिड़ते थे क्यो की वो बच्चे राधे श्याम... राधे श्याम... बोले। ताकि बच्चे भी इस बहाने भगवान का नाम ले। इतने में महात्मा अंदर आए और बोले तुम अंदर केसे? वो आदमी बोला में समझ गया आपकी सारी बात आप क्यो पत्थर उठाते हो लकिन मारते किसी को नहीं। और इस बहाने राधे श्याम बुलवा ते हो। महात्मा बोले किसी को बताना मत की में ऐसा करता हूं। आदमी बोला ऐसा क्यों? महात्मा बोले इस बहाने बच्चे भगवान का नाम लेते है उनको भी पुण्य मिले और हमको भी पुण्य मिले।
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