एक गरीब लड़का 8–9 साल का पिताजी की मृत्यु हो गई।अब मां और बेटा बहुत गरीब है। मां मजदूरी करती है और इतना ही कमा सकते है जितना मां और बेटा दोनो दो टाइम की रोटी खा सके। एक दिन ऐसा आया मजदूरी करते करते मां बेचारी थक जाती थी तो बीमार हो गई। अब मां उठ नहीं पाती थी तो मजदूरी क्या करे? और मजदूरी नहीं करती तो खुद कैसे खाय और बेटे को कैसे खिलाए? बड़ी तकलीफ़ पड़ी बेटा भी भूखी मां भी भूखी। अब खाने को नहीं ला सकते तो दवाई कहा से लाते?
तो बेटे ने मां के मुख से भगवान की महिमा सुनी थी मां कहती थी भगवान अनंत दया के सागर है, सब पे कृपा करते है। बच्चे ने देखा मां बहुत बीमार है कहीं मर न जाय। बच्चे ने तुरंत एक कागज उठाया, कलम उठाई और बच्चे ने चिठ्ठी लिखी पैसों कि मदद के लिए। और चिठ्ठी किस को लिखी? चाचा को मामा को या मौसी को? बच्चे ने चिठ्ठी लिखी भगवान के नाम। चिठ्ठी में लिखा मुझे पैसों कि जरूरत है। मां बीमार है उनका इलाज करना है नहीं तो मां मर जाएगी। चिठ्ठी ले के वो बच्चा पोस्ट के डब्बे रहते है ना वहां गया। तो डब्बा थोड़ा उचा था और पोस्ट मेन सब चिठ्ठी निकाल ने आया था। तो पोस्ट मेन ने बच्चे को पूछा कहा भेजनी है चिठ्ठी? बच्चा 8 साल का मासूम जो अपनी मां की बीमारी से दुखी था उसने चिठ्ठी पोस्ट मेन को दी ये चिठ्ठी मैंने भगवान के नाम लिखी है। वो बोला भगवान के नाम? वो पोस्ट मेन भी भगवान का भक्त था। सोच ने लगा ईश्वर तक कैसे जायेगी। पर मासूम बच्चे की भावना देख बोला। बेटे इस में क्या लिखा है? बच्चा बोला मेरे मां के इलाज के लिए पैसे नहीं है मेरे पास तो मां कहती है भगवान दया के सागर है। तो मैंने सोचा सब पे दया करते है तो मेरे पर भी दया करेंगे। वो पोस्ट मेन था ना वो रो पड़ा बच्चे का भगवान पे भाव देख कर। पोस्ट मेन ने कहा ला बेटे चिठ्ठी। में सब चिठ्ठी ले के जा ही रहा हु तेरे चिठ्ठी में भगवान तक पहुंचा दूंगा। तू रहता कहा है बेटे? तो बच्चे ने पता बता दिया। अगले दिन वो पोस्ट मेन कुछ पैसे लेकर उस बच्चे के घर पहुंच गया की ये ले तूने कल चिठ्ठी लिखी थी ना? मेंने भगवान तक पहुंचा दी और भगवान ने तेरे लिए ये पैसे भेजे है तेरी मां का इलाज करा ले। पोस्ट मेन का प्रमोसन हो गया और वो बच्चे की मदद भी करता गया। और बच्चे को पढ़ाया लिखाया। बच्चा भी पढ़ लिख कर बड़ा ऑफिसर बन गया। अब पता चला बच्चे को वो पोस्ट मेन पैसे कैसे देता था मेरे को।
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